बस्ती। पैकोलिया थाना क्षेत्र के एक गांव में आयोजित शादी समारोह उस समय हंगामे में तब्दील हो गया जब दूल्हे की पहली पत्नी अचानक जयमाल स्टेज पर पहुंच गई। गुजरात निवासी रेशमा नाम की महिला ने अपने पति पर दूसरी शादी करने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा काटा। उसने कहा कि उसका अपने पति से तीन वर्ष पूर्व गुजरात में कोर्ट मैरिज हो चुका है और जब तक न्यायालय तलाक नहीं देता, तब तक दूसरी शादी करना अपराध है। लेकिन इसके बावजूद विवाह समारोह जारी रहा और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
जानकारी के अनुसार, रेशमा विनय शर्मा पत्नी विनय अंगद शर्मा निवासी गनेश पुर थाना वाल्टरगंज जनपद बस्ती का विवाह 30मार्च 22 को हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार अम्बा जी माताजी के मंदिर तालुका झगडिया जिला भरूच गुजरात मे हुआ था यह विवाह भरूच के मैरिज रजिस्टार के यहाँ पंजीकृत भी है गुजरात के विवाह के बाद रेशमा अपने ससुराल गनेशपुर आ कर रह भी रही थी लेकिन पति विनय के प्रताड़ना के वजह से गुजरात चली गई वाह पर किसी प्राइवेट सेक्टर में एच आर के पोस्ट पर जॉब करने लगी पति विनय अपने वेतन से काफी आर्थिक सहयोग भी किया विनय भी गुजरात मे लेबर सप्लाई करता था साथ ही पत्नी के सहयोग से कंपनियों का स्क्रेप का डीलर बन गया।
कुछ समय बीतने के बाद विनय ने अंकलेश्वर के जिला परिवार न्यायालय में रेशमा से तलाक का अपील दाखिल कर दिया जिसका विवाद तो चल ही रहा था कि अपने गृह जनपद के पैकोलिया थानाक्षेत्र के पिरैला में बिना तलाक के दूसरी शादी रचाने की योजना बना डाली गुपचुप तरीके से इंगेजमेंट भी कर लिया जिसकी भनक पहली पत्नी यानी रेशमा विनय शर्मा को लग गई। जिसकी शिकायत बस्ती जनपद के पुलिस उच्चाधिकारियों से लेकर पैकोलिया पुलिस को दी साथ ही मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई लेकिन जब कोई संतोषजनक कार्यवाही नही हुआ उसे पता चला 17 नवंबर को उसका पति बिना तलाक हासिल किए दूसरी महिला से शादी कर रहा है अपने परिजनों के साथ गुजरात से बस्ती आ गई जयमाल का कार्यक्रम शुरू हुआ, वह स्टेज पर चढ़कर दूल्हा-दुल्हन के सामने खड़ी हो गई। उसने पति पर धोखा देने, दहेज उत्पीड़न और दूसरी शादी की साजिश रचने का आरोप लगाया। मौके पर मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई और समारोह में भगदड़ जैसी स्थिति हो गई।
रेशमा ने स्थानीय मीडिया की मदद से पुलिस अधीक्षक बस्ती, अपर पुलिस अधीक्षक और सीओ हरैया तक को मामले से अवगत कराया साथ ही 112 को भी सूचना दी । उनके निर्देश पर पैकोलिया थाना पुलिस मौके पर पहुंची। लेकिन पुलिस कुछ समय स्थिति को समझती रही और विवाह कार्यक्रम रुकवाने की कोशिश नहीं की।
थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार साहू ने स्पष्ट कहा “पुलिस के पास दूसरी शादी को रोकने का कोई अधिकार नहीं है। यह मामला पारिवारिक विवाद एवं न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। कौन प्रमाणित करेगा कि यह विवाह अवैध है, यह भी न्यायालय तय करेगा। अब सवाल यह उठता है कि मैरिज सर्टिफिकेट फैमिली फोटो नजरअंदाज करके थानाध्यक्ष क्या सावित करना चाहते है। इतना ही नही उनके व्यवहार से उनके क्रिया कलाप पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है पीड़िता की माने तो जनरेटर एवं लाइट बन्द करवा दिया गया साथ ही माहौल को डरावना बनाने का प्रयास किया गया। दरोगा जी का वर पक्ष के साथ दोस्तना रवैया तो साफ इशारा कर रहा है कि उन्हें अपने उच्चधिकारियों का ख़ौफ़ नही है सत्रह सौ किलोमीटर की यात्रा करके इंसाफ की उम्मीद में बस्ती आई बेटी इंसाफ से बंचित रह गई।
उनका यह बयान उपस्थित महिला व उसके समर्थकों के आक्रोश का कारण बना। रेशमा का कहना था कि उसका पति न सिर्फ धोखा दे रहा है बल्कि अदालत से बिना तलाक लिए दूसरी शादी कर कानून का उल्लंघन कर रहा है।
पीड़िता रेशमा ने बताया “हमने तीन साल पहले गुजरात में कोर्ट मैरिज की थी। शादी के बाद कुछ समय तक सब ठीक रहा लेकिन कुछ महीने बाद पति का व्यवहार बदलने लगा। उसने कोर्ट में तलाक की अर्जी दी है लेकिन अभी तक फैसला नहीं हुआ है। कानूनन तलाक हुए बिना दूसरी शादी करना अपराध है, फिर भी पुलिस कुछ नहीं कर रही है।”
उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके पति के परिवार ने पहले से ही दूसरी शादी की योजना बना ली थी और उसे अंधेरे में रखा गया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विवाह वैध है या अवैध, इसका निर्धारण पुलिस नहीं कर सकती। अगर विवाह पंजीकरण, तलाक, या धोखाधड़ी से जुड़े दस्तावेज़ मौजूद हैं तो पीड़िता को अदालत में मामला दर्ज कराना होगा। पुलिस चाहकर भी विवाह रोकने की कार्रवाई नहीं कर सकती क्योंकि यह सीधे तौर पर दंड प्रक्रिया संहिता के दायरे में नहीं आता।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 494 के तहत तलाक के बिना दूसरी शादी करना दंडनीय अपराध है। इसके लिए सात वर्ष तक की जेल का प्रावधान है। लेकिन इस कानून के अंतर्गत कार्रवाई तभी संभव है जब पीड़ित व्यक्ति लिखित शिकायत दे और मामला कोर्ट में चले। पुलिस स्वतः संज्ञान लेकर शादी रोकने का अधिकार नहीं रखती।
पति के सामने रोती और न्याय की मांग करती रेशमा को देखकर भी शादी की रस्में जारी रहीं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस ने चाहे तो दहेज या धोखाधड़ी की धाराओं में भी कार्रवाई कर सकती थी लेकिन उन्होंने मामले को केवल “परिवारिक विवाद” मानकर छोड़ दिया।
घटना के बाद से पीड़िता न्याय की लड़ाई लड़ने का मन बना चुकी है। उसने कहा उच्चाधिकारियों से मिलूंगी अदालत जाऊंगी, मेरे साथ बड़ा अन्याय हुआ है। जब तक कानून मेरा साथ देगा, मैं लड़ती रहूंगी।”
यह मामला सिर्फ एक परिवार का विवाद नहीं बल्कि कानून, व्यवस्था और महिला अधिकारों से जुड़े मूल्यांकन का विषय बन गया है। सवाल यह उठता है कि जब पुलिस मौके पर मौजूद थी तो क्या उसे विवाह रुकवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहिए था? क्या एक महिला की आवाज़ इतनी कमजोर है कि प्रशासन के सामने भी अनसुनी रह जाए?
फिलहाल रेशमा उच्चाधिकारियों से मिलकर उसके साथ स्थानीय पुलिस का खराब व्यवहार की जानकारी देने के बाद गुजरात लौटने की तैयारी में है और उसने अपने पति व उसके परिवार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है। वहीं पुलिस ने मामला न्यायालय के विवेक पर छोड़ दिया है। लेकिन इस घटना ने सामाजिक और कानूनी स्तर पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब सिस्टम को देना होगा।




