“मूल्यांकन और आकलन की प्रक्रियाओं को सशक्त बनाना” विषय पर शिक्षकों को मिला मार्गदर्शन
संतकबीरनगर। उदया इंटरनेशनल स्कूल में शनिवार को दो दिवसीय सीबीएसई प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। प्रशिक्षण का विषय था – “मूल्यांकन और आकलन की प्रक्रियाओं को सशक्त बनाना”, जिसका उद्देश्य शिक्षकों को नई शिक्षण पद्धतियों, प्रभावी मूल्यांकन प्रणाली और विद्यार्थियों की समग्र प्रगति के आकलन से परिचित कराना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. दिनेश प्रताप सिंह एवं श्रीमती रीना सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। अपने प्रेरणादायक संबोधन में डॉ. सिंह ने कहा कि —
“शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य विद्यार्थियों में मानवीय मूल्यों का विकास करना है। प्रभावी मूल्यांकन से ही शिक्षक विद्यार्थियों की वास्तविक क्षमता को पहचानकर उन्हें सही दिशा प्रदान कर सकते हैं।”
विद्यालय के प्रबंधक श्री अंकित राज तिवारी ने कहा कि —
“सीबीएसई द्वारा संचालित ऐसे प्रशिक्षण शिक्षकों के ज्ञान, दृष्टिकोण और कौशल को समृद्ध करते हैं। निरंतर सीखना ही शिक्षक की सबसे बड़ी विशेषता है।”
कार्यक्रम का संयोजन एवं प्रथम संबोधन प्रधानाचार्य श्री शैलेंद्र कुमार त्रिपाठी ने किया। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन केवल परीक्षा का परिणाम नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण और शिक्षण प्रक्रिया के सुधार का एक सशक्त उपकरण है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशिक्षण में आर.पी. विद्यापीठ की प्रधानाचार्या श्रीमती मोनिका जी, सिटी पब्लिक स्कूल खलीलाबाद की रागिनी सिंह, राजा लक्ष्मणेश्वर सिंह सिटी इंटरनेशनल स्कूल की आरती मिश्रा, आरपीएस पब्लिक स्कूल झारखंड के अभय यादव तथा शिखर कुमार चौहान सहित अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।
मुख्य प्रशिक्षक डॉ. डी.पी. सिंह (प्रधानाचार्य, स्कॉलर एकेडमी आनंदनगर) एवं सह प्रशिक्षिका श्रीमती रीना सिंह (प्रधानाचार्या, सावित्री पब्लिक स्कूल गोरखपुर) ने शिक्षकों को “मूल्यांकन और मूल्यांकन अभ्यास को मजबूत करना” विषय पर मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि —
“मूल्यांकन का उद्देश्य केवल अंक देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की सीखने की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाना होना चाहिए।”
कार्यक्रम में समन्वयक श्रीमती पुष्पांजलि सिंह और एडमिन श्रीमती अनीता तिवारी ने सक्रिय भूमिका निभाई।
प्रशिक्षण के प्रथम दिन शिक्षकों को सीबीएसई के नवीन दिशा–निर्देश, ब्लूम्स टैक्सोनॉमी, तथा फॉर्मेटिव और समेटिव मूल्यांकन की तकनीकों से परिचित कराया गया। सत्र में समूह चर्चा, उदाहरण–आधारित गतिविधियाँ और व्यवहारिक अभ्यास भी कराए गए।
दिन के अंत में सभी प्रतिभागी शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए और यह संकल्प लिया कि वे प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को अपनी शिक्षण प्रक्रिया में शामिल कर विद्यालय के शैक्षणिक स्तर को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाएँगे।
प्रधानाचार्य श्री शैलेंद्र कुमार त्रिपाठी ने प्रशिक्षकों, संयोजकों एवं सभी शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि —
“इस प्रकार के प्रशिक्षण न केवल शिक्षकों के ज्ञान को अद्यतन करते हैं, बल्कि विद्यार्थियों के समग्र विकास की दिशा में ठोस कदम सिद्ध होते हैं।”

