शारदीय नवरात्र : शक्ति के नौ रूपों की साधना।

Sudhanshu Mishra
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 शारदीय नवरात्र : शक्ति के नौ रूपों की साधना।


भारत की संस्कृति में नवरात्र का विशेष महत्व है। शक्ति की उपासना के लिए वर्ष में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्र का आयोजन किया जाता है। इनमें शारदीय नवरात्र अधिक प्रसिद्ध है, जो आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नौ दिनों तक मनाया जाता है। इन दिनों देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है। हर रूप साधक को एक नई ऊर्जा और जीवन-दर्शन प्रदान करता है।


पहला दिन – शैलपुत्री

नवरात्र का आरंभ माँ शैलपुत्री की आराधना से होता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। यह नव दुर्गाओं में प्रथम मानी जाती हैं। साधक को इनकी उपासना से स्थिरता, संयम और जीवन में धैर्य प्राप्त होता है।


“पर्वत-शिखर सी दृढ़ता

 शैलपुत्री का वरदान,

धैर्य-बल से सजे जीवन, 

मिटे हर तूफ़ान।”


दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी


दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। तपस्या और ब्रह्मचर्य का यह स्वरूप आत्मसंयम, तप और श्रद्धा का संदेश देता है। इनके पूजन से मनुष्य में आत्मबल का विकास होता है।

“तप की ज्योति से आलोकित हर दिशा,

ब्रह्मचारिणी देतीं 

संकल्प की भाषा।”


तीसरा दिन – चंद्रघंटा


तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना होती है। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के कारण इन्हें यह नाम प्राप्त हुआ है। यह रूप शांति और पराक्रम का अद्भुत संगम है।


“अर्धचंद्र की मधुर झंकार,

चंद्रघंटा देतीं साहस अपार।”


चौथा दिन – कूष्मांडा


चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति इनकी दिव्य मुस्कान से हुई थी। यह रूप सृजन और ऊर्जा का प्रतीक है।

“मुस्कान से रची 

सृष्टि की धारा,

कूष्मांडा का रूप 

जग सारा।”


पाँचवां दिन – स्कंदमाता


पाँचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। यह मातृत्व और करुणा की मूर्ति हैं। इनके पूजन से घर-परिवार में सुख-शांति आती है।

“ममता की मूरत, 

दया का सागर,

स्कंदमाता करतीं 

जीवन उजागर।”



छठा दिन – कात्यायनी


छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना की जाती है। यह शक्ति और साहस की देवी हैं। इनकी कृपा से न्याय और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

“कात्यायनी के तेज 

से मिटे अन्याय,

साहस की ज्योति जगाए 

जग प्रकाशमय बनाए।”


सातवां दिन – कालरात्रि


सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। यह उग्र रूप भय और अंधकार का नाश करने वाली हैं। साधक को निर्भयता का वरदान मिलता है।

“कालरात्रि का प्रचंड स्वरूप,

अंधकार हरकर 

करे जग रूप।”


आठवां दिन – महागौरी


आठवें दिन मां महागौरी की आराधना होती है। यह निर्मलता और शांति का स्वरूप हैं। भक्त के जीवन में शुद्धता और पवित्रता आती है।

“गौर वर्ण सी निर्मल छवि रूप,

महागौरी का अद्भुत स्वरूप।"


नवां दिन – सिद्धिदात्री


नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। यह सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं। इनकी कृपा से जीवन में पूर्णता और आत्मसंतोष मिलता है।

"सिद्धियों की दात्री

 कृपा की धारा,

मां सिद्धिदात्री करें 

कल्याण हमारा।"


शारदीय नवरात्र केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और शक्ति साधना का पर्व है। मां के नौ स्वरूप हमें जीवन के विविध आयामों से परिचित कराते हैं—धैर्य, तप, साहस, सृजन, मातृत्व, न्याय, निर्भयता, शुद्धता और सिद्धि। यदि हम इन गुणों को अपने जीवन में उतार लें तो नवरात्र का सच्चा उद्देश्य सिद्ध हो जाएगा।

     

                            प्रतिमा पाठक

                               दिल्ली 

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